राजा जिसका नाम रहूगण पालकी में कहीं जा रहा था! राजा जिसका नाम रहूगण पालकी में कहीं जा रहा था!
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित अतिथि कुश का पुत्र हुआ। श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित अतिथि कुश का पुत्र हुआ।
छिड़ी एक जंग जो राजा संभाल ना पाया... अपनी प्यारी मोहब्बत को बचा ना पाया... छिड़ी एक जंग जो राजा संभाल ना पाया... अपनी प्यारी मोहब्बत को बचा ना पाया...
इस कलप के वैवस्वत मनु हुए पुत्र उनके थे इक्ष्वाकु आदि। इस कलप के वैवस्वत मनु हुए पुत्र उनके थे इक्ष्वाकु आदि।